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"सीमा पर घुसपैठ: 45-50 आतंकवादी अंदर, जवाबी कार्रवाई जारी"
- Manish Mondal
- 28 May, 2025
एंकर:- पहलगाम आतंकी हमले के समय जम्मू-कश्मीर में करीब 140 आतंकी सक्रिय थे, जिनमें 14 स्थानीय आतंकी शामिल थे। अब घुसपैठ के बाद यह संख्या 180 के करीब पहुंच गई है, जो चिंता का विषय है। दक्षिण कश्मीर में दो आतंकवाद विरोधी अभियानों में 6 (3+3) स्थानीय आतंकी मारे गए, लेकिन पाकिस्तानी आतंकी अभी भी घने जंगलों में छिपे हुए हैं।
भारत द्वारा पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर चलाए जा रहे ऑपरेशन सिंदूर के बावजूद नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ की घटनाएं थम नहीं रही हैं। सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ हफ्तों में उड़ी और कुपवाड़ा (कश्मीर), हीरानगर (सांबा) और सुंदरबनी (जम्मू संभाग) जैसे सेक्टरों से करीब 45 से 50 आतंकी भारतीय सीमा में दाखिल हुए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय सुरक्षा बलों का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तानी सेना द्वारा कवर फायर देकर घुसपैठ की ये कोशिशें की गईं। भारी गोलाबारी के दौरान आतंकी सीमा पार कर घुसे। 8, 9, 10 मई को बीएसएफ ने सांबा में सात आतंकियों को मार गिराकर घुसपैठ की बड़ी कोशिश को नाकाम कर दिया। यह कार्रवाई बीएसएफ की सतर्क निगरानी और तकनीकी सहायता के कारण संभव हो पाई, हालांकि कुछ आतंकी फिर भी घुसपैठ करने में सफल हो गए। पहलगाम आतंकी हमले के समय जम्मू-कश्मीर में करीब 140 आतंकी सक्रिय थे, जिनमें 14 स्थानीय आतंकी शामिल थे। अब घुसपैठ के बाद यह संख्या 180 के करीब पहुंच गई है, जो चिंता का विषय है। दक्षिण कश्मीर में दो आतंकवाद विरोधी अभियानों में 6 (3+3) स्थानीय आतंकी मारे गए, लेकिन पाकिस्तानी आतंकी अभी भी घने जंगलों में छिपे हुए हैं। सेना ने एंटी फिदायीन स्क्वॉड और स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) के जवानों की छोटी-छोटी टीमें इन दुर्गम इलाकों में भेजी हैं। हालांकि कई विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सुरक्षा बलों के बीच बेहतर समन्वय की जरूरत है, लेकिन शीर्ष अधिकारियों को भरोसा है कि समय के साथ स्थिति नियंत्रण में आ जाएगी। 22 अप्रैल को पहलगाम हमले में 26 लोगों (ज्यादातर पर्यटक) की मौत के बाद भारत ने पाकिस्तान के बहावलपुर और मुरीदके में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर हमला किया था। यह हमला ऑपरेशन सिंदूर के तहत हुआ था। इसके बाद भारत और पाकिस्तान युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे।
भारत की कार्रवाई के बाद खुफिया एजेंसियों ने संभावित आत्मघाती हमलों को लेकर अलर्ट जारी किया था। आशंका जताई गई थी कि सुरक्षा प्रतिष्ठानों, सेना के प्रतिष्ठानों, मंदिरों और नदी परियोजनाओं को निशाना बनाया जा सकता है। हालांकि कुछ अधिकारियों का मानना है कि अगले 2-3 महीनों में स्थिति और खराब हो सकती है, लेकिन घुसपैठ कर चुके आतंकी देश के दूसरे हिस्सों में घुसने की फिराक में हैं। खुफिया सूत्रों ने दावा किया है कि
ये आतंकी पूरी तरह से हथियारों से लैस हैं, उन्हें युद्ध का अनुभव है और वे स्थानीय मॉड्यूल के संपर्क से बच रहे हैं, जो चिंताजनक संकेत है।
पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा के फ्रंट फेस द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के कुछ आतंकी एक महीने से फरार हैं। इसके अलावा राजौरी और पुंछ में आधा दर्जन हमलों के पीछे के आतंकी भी अभी तक पकड़े नहीं जा सके हैं। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का मानना है कि ये आतंकी अलग-अलग ग्रुप में हैं और पैरा कमांडो जैसी ट्रेनिंग लेकर भारत में तबाही मचाने के लिए भेजे गए हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पंजाब में भी काफी तनाव देखने को मिला था। अब ड्रोन घुसपैठ की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पंजाब की सीमा पाकिस्तान से 553 किलोमीटर लंबी है। सूत्रों के मुताबिक 16 मई को 50 ड्रोन गतिविधियां दर्ज की गई थीं। 17 मई को यह संख्या बढ़कर 90 हो गई, जो अब तक की सबसे बड़ी एक दिन की रिपोर्ट है। 18-19 मई को फिर 40-50 ड्रोन देखे गए। इनमें से कई ड्रोन को मार गिराया गया या निष्क्रिय कर दिया गया, लेकिन पाकिस्तान अपनी गतिविधियां बंद नहीं कर रहा है। यह नई रणनीति सुरक्षा बलों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो रही है।
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