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बांग्लादेश की स्थिति और भारत पर आतंकवाद के खतरे पर खुफिया रिपोर्ट
- Amit Bhardwaj
- 17 Dec, 2024
भारत सरकार एवं भारत सरकार के गृह मंत्रालय को खुफिया जांच द्वारा सौंपी गई एक सीक्रेट रिपोर्ट, बांग्लादेश की स्थिति के साथ-साथ भारत एवं बांग्लादेश में सक्रिय आतंकवादियों की पूरी डिटेल इसमें मौजूद, बांग्लादेश कि हिंदुओं एवं भारत पर आतंकवाद के खतरे पर दी महत्वपूर्ण जानकारियां.....
एंकर:- 16 दिसंबर इस दिन पूर्वी पाकिस्तान का चोला उतारकर बांग्लादेश नए कलेवर के साथ दुनिया के सामने आया था। भारत के लिए भी यह गर्वभरे पलों की याद दिलाने वाला 'विजय दिवस' है, लेकिन इस बार इस दिन विशेष को लेकर समान उत्साह नहीं है। दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई चौड़ी हो चुकी है। पाकिस्तान के लिए वीजा शर्तों को शिथिल करते ही बांग्लादेश प्रमुख मोहम्मद यूनुस के मीठे बोल के पीछे की छिपी 'मंशा' भी जाहिर हो चुकी है। खुफिया जांच एजेंसी के सूत्रों द्वारा मिली जानकारी के अनुसार इंटेल एजेंसी ने बांग्लादेश भारत सीमा और बांग्लादेश के आंतरिक माहौल को देखते हुए कुछ तथ्यों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है इस रिपोर्ट को तैयार कर इंटेल एजेंसी ने सरकार के साथ-साथ जांच एजेंसियों को भी भेजा है
रिपोर्ट में इस तरफ इशारा किया गया है कि भारत को अब बड़े भाई'-'छोटे भाई' की रिश्तेदारी निभाने के बजाय बॉर्डर मैनेजमेंट की ऐसी तैयारी करनी पड़ रही है कि हमें दोबारा पिछली सदी के आखिरी दशक की उस दौर से गुजरना न पड़े, जिसमें बांग्लादेश को लांचिंग पैड बनाकर हमें अस्थिर बनाने की कोशिश की गई थी। रिपोर्ट में लिखा गया है कि बांग्लादेश समेत भारत बांग्लादेश बॉर्डर पर हालात सामान्य होते नजर नहीं आ रहे हैं और इस समय पश्चिमी खुफिया जांच एजेंसीयों पर 'भरोसा' करने के बजाय उस षड़यंत्र की ओर-छोर को तलाशनी की कोशिश की जा रही है, जिसके तहत बांग्लादेश, भारत और म्यांमार के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर ईसाई रियासत बनाने की कोशिश की प्लानिंग की जा रही है।
आपको बता दें खुफिया जांच एजेंसियों के सूत्रों द्वारा मिली जानकारी में ymedia.live न्यूज़ को पता चला है कि पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित 150 से ज़्यादा आतंकवादी भारत में घुसपैठ करने के लिए बांग्लादेश की सीमा पर लॉन्च पैड पर पहुँच चुके हैं। यह घटनाक्रम बांग्लादेश में आयोजित एक गुप्त बैठक के बारे में खुफिया इनपुट के कुछ दिनों बाद हुआ है। खुफिया सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान द्वारा प्रशिक्षित आतंकवादी भारत में घुसपैठ करने के लिए सीमा पार लॉन्च पैड पर तैयार हैं और बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ भी एक टीम तैयार की गई है जो कि लोगों को भड़का कर देंगे करावेगी जिस्म की हजारों की तादाद में हिंदुओं को बांग्लादेश में टारगेट किया जाएगा और यह एक बड़ी हिंसा होगी जिस्म की हजारों की तादाद में लोगों की जान जाने की आशंका जताई जा रही है। बांग्लादेश में हिंसा करने वालों की तादाद 300 से ज्यादा बताई जा रही है और यह पाकिस्तान में एक्टिव आतंकी संगठनों से भी ट्रेनिंग लेकर आए हैं।
रिपोर्ट में यह साफ जाहिर किया गया है कि दक्षिण एशिया में उथल-पुथल और बांग्लादेश में मौजूदा विदेशी हस्तक्षेप भारत के लिए एक बड़ी चेतावनी की घंटी है, जिससे भारत को अपने रुख को मजबूत करने और दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में अधिक सक्रिय होने की आवश्यकता है। इसी तरह, खुफिया एजेंसियों को बांग्लादेश में पश्चिमी शक्तियों के हस्तक्षेप के बारे में रिपोर्ट में साफ लिखा है, और अलर्ट एवं सतर्क रहने के लिए एवं स्थिति पर बारीकी से नज़र रखने संबंधी बातें लिखी गई है। इसमें महत्वपूर्ण यह है कि रिपोर्ट में खास तौर पर कुछ विदेशी एजेंसियों द्वारा बांग्लादेश में हस्तक्षेप और उनके द्वारा हिंसा और आतंक मचाने को लेकर खुले समर्थन की बातें लिखी गई है। इसमें साफ जाहिर किया गया है कि मिली जानकारी पर यह निष्कर्ष निकल कर सामने आ रहा है कि भारत को बांग्लादेश से स्टे अपने क्षेत्र में अपने प्रभाव को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने की अब जरूरत पड़ने वाली है, ठीक उसी तरह जैसे चीन और रूस ने अपनी स्थिति की पुष्टि की है, और पश्चिमी देशों के हस्तक्षेप को अगर ना रोका गया तो भारत में भी बड़ी हिंसा होने की संभावना है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस रिपोर्ट में इस बात का साफ जीकर किया गया है कि, आने वाले समय में अन्य घरेलू गड़बड़ियों के लिए तैयार रहें। भारत में एमएसएस (यह फंड्स इकट्ठा करती है और हिंसा फैलाने के कामो के लिए अपने स्लीपर सेल को पैसे मुहैया करवाते हैं) सभी परिसंपत्तियां घरेलू गड़बड़ियां शुरू करने के लिए सक्रिय हो गई हैं। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि पश्चिमी और क्षेत्रीय खुफिया एजेंसियां बांग्लादेश और उसके बाद भारत के नार्थ ईस्ट एवं आसपास के क्षेत्रों में अशांति में शामिल हो सकती हैं, जो "भारत की आर्थिक और वित्तीय प्रगति में बाधा डालने के लिए क्षेत्र को अस्थिर करने" की कोशिश करने में लगी हैं। सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश और उसके बाद भारत के कुछ क्षेत्रों में स्थिति और बिगड़ने वाली है से जिससे भारत के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं, सरकार को बांग्लादेश में हिंदुओ को बचाने के लिए उन का समर्थन करने के लिए सक्रिय रूप से काम करना पड़ेगा।
सरकार को भेजी गई रिपोर्ट में यह साफ लिखा है और चिंता व्यक्त की गई है कि "बांग्लादेशी सेना द्वारा नियुक्त कई अंतरिम सरकारी अधिकारियों के संबंध या विचारधाराएं बीएनपी, सांप्रदायिक समूहों से जुड़ी हुई हैं, और पाकिस्तान के प्रति उनकी सहानुभूति भी है जिसे की विदेशी खुफिया एजेंसी का समर्थन प्राप्त है।" यह परेशान करने वाला है क्योंकि "पाकिस्तान लंबे समय से पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत में आतंकवाद फैलाने के अपने एजेंडे को आगे बढ़ाना की कोशिश कर रहा है। हिन्दू विरोधी समूहों द्वारा वित्तपोषित आतंकवाद फैलाया जा रहा है।
रिपोर्ट में यह साफ लिखा है कि बांग्लादेश में हुए हिंदू विरोधी हिंसा एक शुरुआती संकेत हैं, क्योंकि पश्चिम बंगाल के बारे में और अधिक जानकारी सामने आ रही है, की बांग्लादेश को इस्लामी आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह बनाया जा रहा है, जो राज्य को आधार बनाकर भारत और बांग्लादेश में हिंसा फैलाने की फिराक में हैं।
इंटेलिजेंस के सूत्रों ने पुष्टि की कि बांग्लादेश के कई जिलों के उपनगरीय इलाकों में हाल ही में हुई घटनाएं, जिनमें "मंदिरों को जलाना, महिलाओं का अपहरण, हत्याएं और घरों में तोड़फोड़ करना शामिल है, अगर ये बढ़ती रहीं तो स्थिति और भी खराब हो सकती है।" रिपोर्ट मे यह भी चेतावनी दी गई है कि स्थिति गंभीर होने से बांग्लादेश से भारत में बड़े पैमाने पर शरणार्थियों का सामूहिक पलायन भी हो सकता है, जो उनकी व्यापक साझा सीमा के कारण भारत पर काफी आर्थिक, वित्तीय और सामाजिक बोझ डालेगा। बांग्लादेश में हिंदू विरोधी संगठनों में विदेशी ताकतों और पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों की मदद से वहां पर हिंदुओं के नरसंहार की योजना तैयार कर ली है और वह किसी भी समय बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं जिसमें हजारों हिंदुओं को मौत के घाट उतारा जाएगा और यही स्थिति बांग्लादेश के बाद भारत के नॉर्थ ईस्ट के इलाके में उत्पन्न हो सकती है।
रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि इस स्थिति में अमेरिका और यूरोप सहित पश्चिमी देशों की एजेंसियों का एक संयोजन शामिल है, संभवतः वहां के धनी व्यक्ति वित्तपोषण प्रदान कर रहे हैं, साथ ही क्षेत्रीय राज्यों और उनकी खुफिया एजेंसियों का भी सहयोग मिल रहा है। आईटी'एस रिपोर्ट में साफ-साफ लिखा गया है कि”जमात और बांग्लादेशी नेशनलिस्ट पार्टी की इसमें महत्वपूर्ण भागीदारी रहेगी क्योंकि इतने बड़े पैमाने की योजना उनके आंतरिक समर्थन के बिना संभव नहीं हो पाएगी।
भारत की होम मिनिस्ट्री के आधिकारिक सूत्रों ने Ymedia.live को इस रिपोर्ट की पुष्टि भी की और बताया है कि बांग्लादेश एवं भारत के नॉर्थ ईस्ट क्षेत्र में मौजूद प्रभावशाली व्यक्ति अपने रणनीतिक हितों के कारण भारत की सीमाओं को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। वे जम्मू और मणिपुर में प्रॉक्सी का उपयोग करके भारतीय सेना को "पूर्वी सीमाओं की रक्षा करने वाली अपनी कई संपत्तियों को वापस जम्मू-कश्मीर में स्थानांतरित करने" के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं।
इंटेल एजेंसी सूत्रों ने स्पष्ट किया कि रिपोर्ट में इस बात का वर्णन किया गया है कि वाशिंगटन बांग्लादेश में चटगाँव बंदरगाह पर नियंत्रण चाहता है,। उन्होंने बताया कि सीआईए कथित तौर पर सोचती है कि बांग्लादेश, म्यांमार, भारत और चटगाँव के कुछ हिस्सों के साथ इस क्षेत्र में एक ईसाई एन्क्लेव बनाने में होगा और दूसरा म्यांमार में सित्तवे है। इस 12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को चिन क्षेत्र (Chin Area) कहा जाता है, जिसका उपयोग सीआईए मिसाइल लॉन्च पैड के रूप में करता है। इसीलिए बांग्लादेश की पहली सरकार को डी स्टेबलाइज किया गया क्योंकि शेख हसीना इन कामों में एक बड़ी दीवार की तरह खड़ी थी जो की पश्चिमी देशों की एजेंसियों के मंदसौरों पर पानी फेर रही थी। सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में यह साफ लिखा गया है कि पश्चिमी और क्षेत्रीय खुफिया एजेंसियों ने कथित तौर पर बांग्लादेश में अशांति में भूमिका निभाई है, जिसका उद्देश्य क्षेत्र को अस्थिर करना और भारत की आर्थिक और वित्तीय वृद्धि को बाधित करना है।
सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट मैं इस बात का साफ वर्णन किया गया है कि भारत के पश्चिम बंगाल के क्षेत्र बर्दवान, मालदा और नादिया में संदिग्ध आगंतुकों के बारे में राज्य पुलिस और सीमा सुरक्षा बल को जानकारी दी गई है। लेकिन, संदिग्धों के खिलाफ राज्य पुलिस की कार्रवाई संतोषजनक नहीं रही है।
कुछ जगहों पर भारत में आपत्तिजनक प्रचार सामग्री के साथ-साथ 33 प्रकार के विभिन्न रसायन पाए जाने की संभावना है जो की हिंसा के दौरान बड़े बम धमाके करने में काम आएंगे और यह सभी बांग्लादेश में निर्मित किए गए हैं और पिछले दो वर्षों में पश्चिम बंगाल में तस्करी करके लाए गए है । पश्चिम बंगाल राज्य को पाकिस्तानी, बांग्लादेशी एवं रोहिंग्या आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है, जो मानते हैं कि भाषा, भोजन और संस्कृति में समानता उन्हें स्थानीय आबादी में घुलने-मिलने में सक्षम बनाती है। सूत्रों ने कहा कि इस्लामी आतंकवादियों ने निगरानी से बचने के लिए रणनीतिक रूप से हिंदू बहुल आबादी वाले जिले को चुना है।
खुफिया अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट में यह साफ लिखा है कि कुछ ऐसे बड़े तथ्य मिले हैं कि जिससे यह साफ जाहिर हो रहा है कि पिछले दो सालों में कर्नाटक, तमिलनाडु, दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम से बड़ी संख्या में मुस्लिम युवकों की भर्ती की गई है। इन युवकों और युवतियों को बांग्लादेश के रास्ते सीमा पार कराकर वजीरिस्तान के शिविरों में ले जाया जा रहा है, जहां उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग दी जा रही है।
खुफिया सूत्रों के अनुसार, दुबई और लंदन में व्यापारिक हितों वाले राज्य के एक पूर्व राज्यसभा सांसद का इस्तेमाल हवाला लेनदेन के माध्यम से आतंकी फंड ट्रांसफर करने के लिए किया जा रहा है। बांग्लादेश स्थित जेएमबी ने उस देश में जमात द्वारा हिंदुओं के नरसंहार को कमतर आंकने के लिए मीडिया और शिक्षा जगत में समर्थकों का उपयोग करके एक अभियान शुरू करने की भी योजना बनाई है। संगठन ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक माहौल को अनुकूल बनाया, क्योंकि पहले सीपीआई (एम) का समर्थन करने वाले मुसलमानों ने इसे छोड़ना शुरू कर दिया था और जमात तबलीकी के लिए ग्रहणशील भर्ती कर रहे थे, जो देवबंद आंदोलन की एक शाखा थी, जो “इस्लामिक अध्यात्मवाद” के साथ आई थी।
रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है कि एक बड़ा संगठन महिलाओं का भी बनाया गया है जिनको की भारत के पश्चिम बंगाल के "मदरसों" में बम बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है और कट्टरपंथी प्रचारकों द्वारा उन्हें अल-कायदा के आतंक के दर्शन में भी शामिल किया गया था। खुफिया स्रोतों ने बड़ी संख्या में "मदरसों" के अस्तित्व का पता लगाया है, जिसमें महिलाओं और लड़कियों सहित किशोरों को आग्नेयास्त्रों और विस्फोटकों के उपयोग का प्रशिक्षण दिया जाता है। इनमे से कुछ महिलाएं विस्फोटकों के परिवहन के लिए बांग्लादेश में वांछित हैं। इनमे से कुछ महिलाओं ने बांग्लादेश चुनावों से ठीक पहले चपाईबबगंज में एक बिजली ट्रांसमिशन केंद्र में विस्फोट करने के लिए जमात-उल-मुजाहिदीन की भी मदद की थी और इनमे से कुछ लोग सीआईडी और रैपिड एक्शन बटालियन द्वारा वांछित भी हैं। इन लोगों ने अंडर कवर एजेंटों के सामने तालिबान आतंकवादियों से प्रशिक्षण प्राप्त करने की बात स्वीकार की है और यहां तक कि अफगानिस्तान का दौरा भी किया है, जिसके बाद उन्हें आतंकवादी मिशनों के लिए पश्चिम बंगाल के साथ साथ अन्य कई क्षेत्रों से महिलाओं की भर्ती करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इन लोगों को वजीरिस्तान मे हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह लोग ब्लैक विडो ग्रुप के नाम से अपना संगठन चलाते है।
इस रिपोर्ट के बारे में सूत्रों से ज़ी मीडिया नेटवर्क को पता चला है कि बांग्लादेश में पुलिस के लिए काम करने वाले दो वरिष्ठ अधिकारियों ने नागरिकों की गोपनीय और व्यक्तिगत जानकारी एकत्र की है और आतंकवादी संगठन और पश्चिमी देशों की खुफिया जांच एजेंसियों को एक सोशल मीडिया ऐप द्वारा सांझी की है जिसके लिए उन्हें खूब सारे पैसे भी मिले हैं। बांग्लादेश के एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित एक पत्र के अनुसार, बेचे गए डेटा में भारत और बांग्लादेश नागरिकों की राष्ट्रीय पहचान का विवरण, सेल फोन कॉल रिकॉर्ड और अन्य "गोपनीय गुप्त जानकारी" भी इसमें शामिल है।
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